@parveen-shakir
Parveen Shakir shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Parveen Shakir's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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गवाही कैसे टूटती मुआ'मला ख़ुदा का था
मिरा और उस का राब्ता तो हाथ और दुआ का था
मुश्किल है कि अब शहर में निकले कोई घर से
दस्तार पे बात आ गई होती हुई सर से
अपनी ही सदा सुनूँ कहाँ तक
जंगल की हवा रहूँ कहाँ तक
तराश कर मिरे बाज़ू उड़ान छोड़ गया
हवा के पास बरहना कमान छोड़ गया
क्या करे मेरी मसीहाई भी करने वाला
ज़ख़्म ही ये मुझे लगता नहीं भरने वाला
वक़्त-ए-रुख़्सत आ गया दिल फिर भी घबराया नहीं
उस को हम क्या खोएँगे जिस को कभी पाया नहीं
चराग़-ए-राह बुझा क्या कि रहनुमा भी गया
हवा के साथ मुसाफ़िर का नक़्श-ए-पा भी गया
बजा कि आँख में नींदों के सिलसिले भी नहीं
शिकस्त-ए-ख़्वाब के अब मुझ में हौसले भी नहीं
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
वही परिंद कि कल गोशागीर ऐसा था
पलक झपकते हवा में लकीर, ऐसा था