तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो

@jaun-elia
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
ये बहुत ग़म की बात हो शायद
अब तो ग़म भी गँवा चुका हूँ मैं
कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा
शब जो हम से हुआ मुआफ़ करो
नहीं पी थी बहक गए होंगे
जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँ
तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते
आज मुझ को बहुत बुरा कह कर
आप ने नाम तो लिया मेरा
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
मुझ को आदत है रूठ जाने की
आप मुझ को मना लिया कीजे
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है
अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो
कुछ नहीं आसमान में रक्खा
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं