नज़र-अंदाज़ करने की सज़ा देनी थी तुझ को
नज़र-अंदाज़ करने की सज़ा देनी थी तुझ को
तेरे दिल में उतर जाना ज़रूरी हो गया था

@waseem-barelvi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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नज़र-अंदाज़ करने की सज़ा देनी थी तुझ को
तेरे दिल में उतर जाना ज़रूरी हो गया था
सब के चेहरे पे जो तनक़ीद किया करते हैं
आइना उन को दिखा दो तो मज़ा आ जाए
जैसा दिखाई देने की करते हो कोशिशें
मैं ख़ूब जानता हूँ कि ऐसे नहीं हो तुम
कोई शिकवा न करे बहते हुए पानी से
कश्तियाँ डूबी हैं कुछ अपनी ही मनमानी से
ध्यान रहे ये लोग तुम्हारी सफ़ में डर कर आए हैं
तुमको ज़िंदा क्या रक्खेंगे जो ख़ुद मर कर आए हैं
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
जाके लौटा है कहीं कोई हवा का झोंका
तुमने क्या सोच के दरवाज़ा खुला रक्खा है
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा
गुनाहगार को इतना पता तो होता है
जहाँ कोई नहीं होता ख़ुदा तो होता है
दुआ करो कि सलामत रहे मिरी हिम्मत
ये इक चराग़ कई आँधियों पे भारी है
उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले
मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसको फ़ुर्सत नहीं मिलती कि पलट कर देखे
हम ही दीवाने हैं दीवाने बने रहते हैं
आँखों को मूँद लेने से ख़तरा न जाएगा
वो देखना पड़ेगा जो देखा न जाएगा
ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा
वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा
प्यार की रात हो छत पर हो तेरा साथ तो फ़िर
चाँद को बीच में डाला नहीं जाता मुझसे
ये गूँगों की महफ़िल है निकलना ही पड़ेगा
क्या इतनी ख़ता कम है कि हम बोल पड़े हैं
निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ
दूरी हुई तो उनसे क़रीब और हम हुए
ये कैसे फ़ासले थे जो बढ़ने से कम हुए
उसूलों पे जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है