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कोई शिकवा न करे बहते हुए पानी से

कोई शिकवा न करे बहते हुए पानी से

कश्तियाँ डूबी हैं कुछ अपनी ही मनमानी से

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कोई शिकवा न करे बहते हुए पानी से — Waseem Barelvi • ShayariPage