लोगों को उस का नाम बताने से रह गया
लोगों को उस का नाम बताने से रह गया
इक लफ़्ज़ था जो शेर में आने से रह गया

@varun-anand
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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लोगों को उस का नाम बताने से रह गया
इक लफ़्ज़ था जो शेर में आने से रह गया
तेरे कहने से ये जादू नहीं होने वाला
अब सितारा कोई जुगनू नहीं होने वाला
प्यार मेरी कमज़ोरी थी और उसने मुझे
जी भर कर कमज़ोर किया फिर छोड़ दिया
बड़ी जल्दी में था उस दिन ज़रा बेचैन भी था वो
उसे कहना था कुछ मुझसे मगर वो कह नहीं पाया
न जाने कौन सी आए सदा पसंद उसे
सो हम सदाएँ बदल कर सदाएँ देते रहे
जिस शय पर वो उँगली रख दे उस को वो दिलवानी है
उस की ख़ुशियाँ सब से अव्वल सस्ता महँगा एक तरफ़
एक दिन की ख़ुराक है मेरी
आप के हैं जो पूरे साल के दुख
हम पे एहसान हैं उदासी के
मुस्कुराएँ तो शर्म आती है
महीनों फूल भिजवाने पड़े थे
वो पहली बार जब रूठा था मुझ से
ये प्यार तेरी भूल है क़ुबूल है
मैं संग हूँ तू फूल है क़ुबूल है
मैंने जैसी चाही थी ना वैसी इनमें खनखन नइँ
जितने प्यारे हाथ हैं तेरे उतने प्यारे कंगन नइँ
हमीं तलाश के देते हैं रास्ता सब को
हमीं को बा'द में रस्ता दिखाया जाता है
तुझको छू कर और किसी की चाह रखें
हैरत है और लानत ऐसे हाथों पर
मेरे क़ुबूल पे उसने क़ुबूल कह तो दिया
पर एक बार कहा उसने तीन बार नहीं
इतना ऊँचा उड़ना भी कुछ ठीक नहीं
पाबंदी लग जाती है परवाज़ों पर
हमारी मर्ज़ी से अब क्या बदलने वाला है
तुम्हारे कब्ज़े में वोटिंग मशीन है साहब
ये कितनी लाशें सहेजे किसे कहाँ रक्खें
कि तंग आ गई है अब ज़मीन लोगों से
हाकिम को इक चिट्ठी लिक्खो सब के सब
और उसमें बस इतना लिखना लानत है
तेरी निगाह-ए-नाज़ से छूटे हुए दरख़्त
मर जाएँ क्या करें बता सूखे हुए दरख़्त
उस ने सारी दुनिया माँगी मैंने उस को माँगा है
उस के सपने एक तरफ़ हैं मेरा सपना एक तरफ़