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तेरी निगाह-ए-नाज़ से छूटे हुए दरख़्त

तेरी निगाह-ए-नाज़ से छूटे हुए दरख़्त

मर जाएँ क्या करें बता सूखे हुए दरख़्त

हैरत है पेड़ नीम के देने लगे हैं आम

पगला गए हैं आपके चूमे हुए दरख़्त

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तेरी निगाह-ए-नाज़ से छूटे हुए दरख़्त — Varun Anand • ShayariPage