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मैंने जैसी चाही थी ना वैसी इनमें खनखन नइँ

मैंने जैसी चाही थी ना वैसी इनमें खनखन नइँ

जितने प्यारे हाथ हैं तेरे उतने प्यारे कंगन नइँ

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मैंने जैसी चाही थी ना वैसी इनमें खनखन नइँ — Varun Anand • ShayariPage