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ये कितनी लाशें सहेजे किसे कहाँ रक्खें

ये कितनी लाशें सहेजे किसे कहाँ रक्खें

कि तंग आ गई है अब ज़मीन लोगों से

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ये कितनी लाशें सहेजे किसे कहाँ रक्खें — Varun Anand • ShayariPage