रहा न दिल में वो बे-दर्द और दर्द रहा
रहा न दिल में वो बे-दर्द और दर्द रहा
मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था

@dagh-dehlvi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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रहा न दिल में वो बे-दर्द और दर्द रहा
मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था
आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले
आज बे-मौत मरेंगे मिरे मरने वाले
ख़ुदा रक्खे मोहब्बत ने किए आबाद दोनों घर
मैं उन के दिल में रहता हूँ वो मेरे दिल में रहते हैं
न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
बहुत देर की मेहरबाँ आते आते
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
हम भी क्या ज़िंदगी गुज़ार गए
दिल की बाज़ी लगा के हार गए
ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा
मैं जो कह दूँ आप पर मरता हूँ मैं
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था
जली हैं धूप में शक्लें जो माहताब की थीं
खिंची हैं काँटों पे जो पत्तियाँ गुलाब की थीं
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
आप का ए'तिबार कौन करे
रोज़ का इंतिज़ार कौन करे
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त मान लेते हैं
कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी
ख़ातिर से या लिहाज़ से, मैं मान तो गया
झूठी क़सम से, आपका ईमान तो गया
इस नहीं का कोई इलाज नहीं
रोज़ कहते हैं आप आज नहीं
जब आँखों में लगाता हूँ तो चुपके-चुपके हंस-हंसकर
तेरी तस्वीर भी कहती है, सूरत ऐसी होती है
हमें दीदार से मरहूम रखकर है नज़र दिल पर
पराया माल ताको और दौलत अपनी रहने दो
मयस्सर हमें ख़्वाब-ओ-राहत कहाँ
ज़रा आँख झपकी सहर हो गई
ऐ "दाग़" बुरा मान ना तू उसके कहे का
माशूक की गाली से तो इज़्ज़त नहीं जाती