इस अदा से वो जफ़ा करते हैं
इस अदा से वो जफ़ा करते हैं
कोई जाने कि वफ़ा करते हैं

@dagh-dehlvi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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इस अदा से वो जफ़ा करते हैं
कोई जाने कि वफ़ा करते हैं
देख कर जोबन तिरा किस किस को हैरानी हुई
इस जवानी पर जवानी आप दीवानी हुई
सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना
तुम्हें क़सम है हमारे सर की हमारे हक़ में कमी न करना
मज़े इश्क़ के कुछ वही जानते हैं
कि जो मौत को ज़िंदगी जानते हैं
जो हो सकता है उस से वो किसी से हो नहीं सकता
मगर देखो तो फिर कुछ आदमी से हो नहीं सकता
दिल चुरा कर नज़र चुराई है
लुट गए लुट गए दुहाई है
दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने
क्यूँ है ऐसा उदास क्या जाने
ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया
झूट सच आज़मा के देख लिया
कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया
देखता भालता हर शाख़ को सय्याद आया
काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है
मुझ को ख़बर नहीं मिरी मिट्टी कहाँ की है
कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो
जाती है जिस पे जान मिरी जाँ तुम्हीं तो हो
फ़लक देता है जिन को ऐश उन को ग़म भी होते हैं
जहाँ बजते हैं नक़्क़ारे वहीं मातम भी होते हैं
ये बात बात में क्या नाज़ुकी निकलती है
दबी दबी तिरे लब से हँसी निकलती है
सबक़ ऐसा पढ़ा दिया तू ने
दिल से सब कुछ भला दिया तू ने
दिल-ए-नाकाम के हैं काम ख़राब
कर लिया आशिक़ी में नाम ख़राब
वो ज़माना नज़र नहीं आता
कुछ ठिकाना नज़र नहीं आता
अब वो ये कह रहे हैं मिरी मान जाइए
अल्लाह तेरी शान के क़ुर्बान जाइए
ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं
तुझ को लिपट पड़ेंगे दीवाने आदमी हैं
रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
तेरी सूरत को देखता हूँ मैं
उस की क़ुदरत को देखता हूँ मैं