दिल चुरा कर नज़र चुराई है

दिल चुरा कर नज़र चुराई है

लुट गए लुट गए दुहाई है


एक दिन मिल के फिर नहीं मिलते

किस क़यामत की ये जुदाई है


ऐ असर कर न इंतिज़ार-ए-दुआ

माँगना सख़्त बे-हयाई है


मैं यहाँ हूँ वहाँ है दिल मेरा

ना-रसाई अजब रसाई है


इस तरह अहल-ए-नाज़ नाज़ करें

बंदगी है कि ये ख़ुदाई है


पानी पी पी के तौबा करता हूँ

पारसाई सी पारसाई है


वा'दा करने का इख़्तियार रहा

बात करने में क्या बुराई है


कब निकलता है अब जिगर से तीर

ये भी क्या तेरी आश्नाई है


'दाग़' उन से दिमाग़ करते हैं

नहीं मालूम क्या समाई है