SHER•1/18/2022जली हैं धूप में शक्लें जो माहताब की थींBy Dagh DehlviLikeShareReportHindiEnglishजली हैं धूप में शक्लें जो माहताब की थीं खिंची हैं काँटों पे जो पत्तियाँ गुलाब की थीं