हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
शबनम कभी शोला कभी तूफ़ान हैं आँखें

@sahir-ludhianvi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें
शबनम कभी शोला कभी तूफ़ान हैं आँखें
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
ये वादियां ये फ़ज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें
ख़मोशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें