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GHAZAL

ये वादियां ये फ़ज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें

ये वादियां ये फ़ज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें

ख़मोशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हें

तरस रहे हैं जवां फूल होंट छूने को

मचल मचल के हवाएं बुला रही हैं तुम्हें

तुम्हारी ज़ुल्फ़ों से ख़ुशबू की भीक लेने को

झुकी झुकी सी घटाएं बुला रही हैं तुम्हें

हसीन चम्पई पैरों को जब से देखा है

नदी की मस्त अदाएं बुला रही हैं तुम्हें

मिरा कहा न सुनो उन की बात तो सुन लो

हर एक दिल की दुआएं बुला रही हैं तुम्हें

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ये वादियां ये फ़ज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें — Sahir Ludhianvi • ShayariPage