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GHAZAL

हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें

हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें

शबनम कभी शोला कभी तूफ़ान हैं आँखें

आँखों से बड़ी कोई तराज़ू नहीं होती

तुलता है बशर जिस में वो मीज़ान हैं आँखें

आँखें ही मिलाती हैं ज़माने में दिलों को

अंजान हैं हम तुम अगर अंजान हैं आँखें

लब कुछ भी कहें इस से हक़ीक़त नहीं खुलती

इंसान के सच झूट की पहचान हैं आँखें

आँखें न झुकीं तेरी किसी ग़ैर के आगे

दुनिया में बड़ी चीज़ मिरी जान! हैं आँखें

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