देखा है बिछड़ कर के बिछड़ने का असर भी
देखा है बिछड़ कर के बिछड़ने का असर भी
मुझ पर तो बहुत होता है उस पर नहीं होता

@nawaz-deobandi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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देखा है बिछड़ कर के बिछड़ने का असर भी
मुझ पर तो बहुत होता है उस पर नहीं होता
बहुत मज़ाक़ उड़ाते हो तुम ग़रीबों का
मदद तो करते हो तस्वीर खींच लेते हो
वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे
बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसे
धूप को साया ज़मीं को आसमाँ करती है माँ
हाथ रखकर मेरे सर पर सायबाँ करती है माँ
हर एक सितम पे दाद दी हर जख्म पे दुआ
हमने भी दुश्मनों को सताया बहुत दिनों
सफ़र में मुश्किलें आएँ तो जुरअत और बढ़ती है
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है
शेर तो रोज़ ही कहते हैं ग़ज़ल के लेकिन
आ! कभी बैठ के तुझसे करें बातें तेरी
सच्चाई को अपनाना आसान नहीं
दुनिया भर से झगड़ा करना पड़ता है
तुम इस ख़मोश तबीअत पे तंज़ मत करना
वो सोचता है बहुत और बोलता कम है
सच बोलने के तौर-तरीक़े नहीं रहे
पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे
भूलना चाहा अगर उस को कभी
और भी वो याद आया देर तक
अंजाम उसके हाथ है आग़ाज़ करके देख
भीगे हुए परों से ही परवाज़ करके देख
तेरे आने की जब ख़बर महके
तेरी खुश्बू से सारा घर महके
बदनज़र उठने ही वाली थी किसी की जानिब
अपने बेटी का ख़याल आया तो दिल काँप गया
भूके बच्चों की तसल्ली के लिए
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
हाल-ए-दिल सबसे छुपाने में मजा आता है
आप पूछें तो बताने में मजा आता है
उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप हैं अगला नम्बर आपका है
वो पूँछते फिरते हैं मेरे बारे में सबसे
इक मेरा भी शायर है उसे तुमने सुना क्या?
वो रुला कर हँस न पाया देर तक
जब मैं रो कर मुस्कुराया देर तक