शेर तो रोज़ ही कहते हैं ग़ज़ल के लेकिनNawaz Deobandi@nawaz-deobandiशेर तो रोज़ ही कहते हैं ग़ज़ल के लेकिन आ! कभी बैठ के तुझसे करें बातें तेरी