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सच बोलने के तौर-तरीक़े नहीं रहे

सच बोलने के तौर-तरीक़े नहीं रहे

पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे

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सच बोलने के तौर-तरीक़े नहीं रहे — Nawaz Deobandi • ShayariPage