तुम ख़ुदा हो
तुम ख़ुदा हो
ख़ुदा के बेटे हो

@kaifi-azmi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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तुम ख़ुदा हो
ख़ुदा के बेटे हो
ये अँधेरी रात ये सारी फ़ज़ा सोई हुई
पत्ती पत्ती मंज़र-ए-ख़ामोश में खोई हुई
कभी जुमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है
जहाँ को अपनी तबाही का इंतिज़ार सा है
एक गर्दन पे सैकड़ों चेहरे
और हर चेहरे पर हज़ारों दाग़
मैं ने तन्हा कभी उस को देखा नहीं
फिर भी जब उस को देखा वो तन्हा मिला
ऐ हमा-रंग हमा-नूर हमा-सोज़-ओ-गुदाज़
बज़्म-ए-महताब से आने की ज़रूरत क्या थी
ये बरसात ये मौसम-ए-शादमानी
ख़स-ओ-ख़ार पर फट पड़ी है जवानी
कितनी रंगीं है फ़ज़ा कितनी हसीं है दुनिया
कितना सरशार है ज़ौक़-ए-चमन-आराई आज
कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यूँ है
वो जो अपना था वही और किसी का क्यूँ है
रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे
फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है
आज की रात न फ़ुट-पाथ पे नींद आएगी
औरत
उठ मिरी जान मिरे साथ ही चलना है तुझे
ज़िंदगी नाम है कुछ लम्हों का
और उन में भी वही इक लम्हा
ये किस तरह याद आ रही हो ये ख़्वाब कैसा दिखा रही हो
कि जैसे सच-मुच निगाह के सामने खड़ी मुस्कुरा रही हो
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है
आज की रात न फ़ुट-पाथ पे नींद आएगी
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई