हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

@bashir-badr
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
ये दुनिया है यहां कोई जगह ख़ाली नहीं रहती
किसी के आने-जाने से कभी कुछ कम नहीं होता
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाये
वही लिखने पढ़ने का शौक़ था, वही लिखने पढ़ने का शौक़ है
तेरा नाम लिखना किताब पर, तेरा नाम पढ़ना किताब में
मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ
कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है
रात का इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता