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मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ

मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ

कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाये

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मैं ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ — Bashir Badr • ShayariPage