@ali-zaryoun
Ali Zaryoun, born in 1983 in Faisalabad, is a versatile multilingual poet. Dive into his diverse Shayari collection, spanning Urdu, Hindi, Farsi, Punjabi, and English, and save your favorite verses.
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अस्र के वक़्त मेरे पास न बैठ
मुझ पे इक साँवली का साया है
क्या बोला मुझे ख़ुद को तुम्हारा नहीं कहना
ये बात कभी मुझसे दुबारा नहीं कहना
यार बिछड़कर तुमने हँसता बसता घर वीरान किया
मुझको भी आबाद न रक्खा अपना भी नुक़्सान किया
सादा हूँ और ब्रैंड्स पसंद नहीं मुझको
मुझ पर अपने पैसे ज़ाया मत करना
चाय पीते हैं कहीं बैठ के दोनों भाई
जा चुकी है ना तो बस छोड़ चल आ जाने दे
कोई दिक़्क़त नहीं है गर तुम्हें उलझा सा लगता हूँ
मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूँ
मिले किसी से गिरे जिस भी जाल पर मेरे दोस्त
मैं उसको छोड़ चुका उसके हाल पर मेरे दोस्त
ये जो हिजरत के मारे हुए हैं यहाँ
अगले मिसरे पे रो के कहेंगे कि हाँ
एक आवाज़ कि जो मुझको बचा लेती है
ज़िन्दगी आख़री लम्हों में मना लेती है
आदमी देश छोड़े तो छोड़े 'अली'
दिल मे बसता हुआ घर नहीं छोड़ता