मैंने आँखों के किनारे भी न तर होने दिए
मैंने आँखों के किनारे भी न तर होने दिए
जिस तरफ़ से आया था सैलाब वापस कर दिया

@abbas-tabish
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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मैंने आँखों के किनारे भी न तर होने दिए
जिस तरफ़ से आया था सैलाब वापस कर दिया
बहुत बेकार मौसम है मगर कुछ काम करना है
कि ताज़ा ज़ख़्म मिलने तक पुराना ज़ख़्म भरना है
तोहमत उतार फेंकी लबादा बदल लिया
ख़ुद को ज़रूरतों से ज़ियादा बदल लिया
कोई अंदर की घुटन का भी इलाज
गालियाँ काग़ज़ पे लिख कर फेंक दे
मेरे आँसू मिरे अंदर ही गिरे
रोने से जी और बोझल हो गया
तुम्हारे शहर में तोहमत है ज़िंदा रहना भी
जिन्हें अज़ीज़ थीं जानें वो मरते जाते हैं
मैं तुझे खो के भी ज़िंदा हूँ ये देखा तूने
किस क़दर हौसला हारे हुए इंसान में है
कब तुम्हें इश्क़ पे मजबूर किया है हमने
हम तो बस याद दिलाते हैं चले जाते हैं
खींच लाती है हमे तेरी मुहब्बत वरना
आख़िरी बार कई बार मिले हैं तुझसे
हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे
कि तुम को पहली मोहब्बत की बद्दुआ न लगे
अफ़सोस हो रहा है तेरी शक्ल देख कर
क्या कोई तेरा चाहने वाला नहीं रहा
अब कह रहे हो मेरी ज़रूरत नहीं तुम्हे
फिर क्या करोगे मेरी ज़रूरत अगर पड़ी
पानी आँख में भरकर लाया जा सकता है
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है
जिस से पूछे तेरे बारे में यही कहता है
ख़ूबसूरत है वफ़ादार नहीं हो सकता
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
हम तेरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं
तुम माँग रहे हो मेरे दिल से मेरी ख़्वाहिश
बच्चा तो कभी अपने खिलौने नहीं देता