काश वो रास्ते में मिल जाए
काश वो रास्ते में मिल जाए
मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है

@fahmi-badayuni
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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काश वो रास्ते में मिल जाए
मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है
कोई होंठों पे उँगली रख गया है
उसी दिन से मैं लिखकर बोलता हूँ
शहसवारों ने रौशनी माँगी
मैं ने बैसाखियाँ जला डालीं
उसे ले कर जो गाड़ी जा चुकी है
मैं शायद उस के नीचे आ रहा हूँ
निगाहें करती रह जाती हैं हिज्जे
वो जब चेहरे से इमला बोलता है
बदन का ज़िक्र बातिल है तो आओ
बिना सर पैर की बातें करेंगे
आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़
दूसरे रोज़ ए'तिबार हुआ
आज पैवंद की ज़रूरत है
ये सज़ा है रफ़ू न करने की
जब तलक क़ुव्वत-ए-तख़य्युल है
आप पहलू से उठ नहीं सकते
ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था
उस ने सर्कस में नौकरी कर ली
परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के
वफ़ा करने की नौबत आ गई है
मैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
और अपने पते पे भेज दिया
याद रखने में ही भलाई है
मर भी सकते हैं भूलने में उसे
बात क्या है कि सामने उसके
सोचता कुछ हूँ बोलता कुछ हूँ