बात करो रूठे यारों से सन्नाटों से डर जाते हैं
बात करो रूठे यारों से सन्नाटों से डर जाते हैं
प्यार अकेला जी लेता है दोस्त अकेले मर जाते हैं

@kumar-vishwas
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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बात करो रूठे यारों से सन्नाटों से डर जाते हैं
प्यार अकेला जी लेता है दोस्त अकेले मर जाते हैं
रख के हर चीज़ भूलने वाली
ला तेरा दिल सँभाल कर रख दूँ
बहुत मुश्किल है कोई यूँ वतन की जान हो जाए
तुम्हें फैला दिया जाए तो हिन्दुस्तान हो जाए
हम कहाँ हैं ये पता लो तुम भी
बात आधी तो सँभालो तुम भी
मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है, साजिश है
उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा
रात के जिस्म में जब पहला पियाला उतरा
दूर दरिया में मेरे चाँद का हाला उतरा
मुद्दतें गुज़र गयी 'हिसाब' नहीं किया
न जाने अब किसके कितने रह गए हम
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना
इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना
राम होने में या रावण में है अंतर इतना
एक दुनिया को ख़ुशी दूसरा ग़म देता है
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सिलवट हटा रही होगी
दिल के तमाम ज़ख़्म तेरी हाँ से भर गए
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
कबूतर इश्क़ का उतरे तो कैसे?
तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है
मेरा ख्याल तेरी चुप्पियों को आता है
तेरा ख्याल मेरी हिचकियों को आता है
बचपना ऐ लड़को तुमसे कभी छूटता ही नही
जवान होना तो बस लड़कियों को आता है
सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा