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ख़ुदा अलीगढ़ के मदरसे को तमाम अमराज़ से शिफ़ा दे
भरे हुए हैं रईस-ज़ादे अमीर-ज़ादे शरीफ़-ज़ादे

@akbar-allahabadi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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ख़ुदा अलीगढ़ के मदरसे को तमाम अमराज़ से शिफ़ा दे
भरे हुए हैं रईस-ज़ादे अमीर-ज़ादे शरीफ़-ज़ादे
बे-तकल्लुफ़ बोसा-ए-ज़ुल्फ़-ए-चलीपा लीजिए
नक़्द-ए-दिल मौजूद है फिर क्यूँ न सौदा लीजिए
फिर गई आप की दो दिन में तबीअ'त कैसी
ये वफ़ा कैसी थी साहब ये मुरव्वत कैसी
आज आराइश-ए-गेसू-ए-दोता होती है
फिर मिरी जान गिरफ़्तार-ए-बला होती है
साँस लेते हुए भी डरता हूँ
ये न समझें कि आह करता हूँ
अपने पहलू से वो ग़ैरों को उठा ही न सके
उन को हम क़िस्सा-ए-ग़म अपना सुना ही न सके
न हासिल हुआ सब्र-ओ-आराम दिल का
न निकला कभी तुम से कुछ काम दिल का
इश्क़-ए-बुत में कुफ़्र का मुझ को अदब करना पड़ा
जो बरहमन ने कहा आख़िर वो सब करना पड़ा
हल्क़े नहीं हैं ज़ुल्फ़ के हल्क़े हैं जाल के
हाँ ऐ निगाह-ए-शौक़ ज़रा देख-भाल के
दिल-ए-मायूस में वो शोरिशें बरपा नहीं होतीं
उमीदें इस क़दर टूटीं कि अब पैदा नहीं होतीं
ख़ुशी है सब को कि ऑपरेशन में ख़ूब निश्तर ये चल रहा है
किसी को इस की ख़बर नहीं है मरीज़ का दम निकल रहा है
मा'नी को भुला देती है सूरत है तो ये है
नेचर भी सबक़ सीख ले ज़ीनत है तो ये है
शेख़ ने नाक़ूस के सुर में जो ख़ुद ही तान ली
फिर तो यारों ने भजन गाने की खुल कर ठान ली
तरीक़-ए-इश्क़ में मुझ को कोई कामिल नहीं मिलता
गए फ़रहाद ओ मजनूँ अब किसी से दिल नहीं मिलता
अगर दिल वाक़िफ़-ए-नैरंगी-ए-तब-ए-सनम होता
ज़माने की दो-रंगी का उसे हरगिज़ न ग़म होता
जब यास हुई तो आहों ने सीने से निकलना छोड़ दिया
अब ख़ुश्क-मिज़ाज आँखें भी हुईं दिल ने भी मचलना छोड़ दिया
जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा
उठ भी जाएगा जहाँ से तो मसीहा होगा
वो हवा न रही वो चमन न रहा वो गली न रही वो हसीं न रहे
वो फ़लक न रहा वो समाँ न रहा वो मकाँ न रहे वो मकीं न रहे
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ