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SHER

जरा ठहरो की शब फीकी बहुत है

जरा ठहरो की शब फीकी बहुत है

तुम्हें घर जाने की जल्दी बहुत है

जरा नजदीक आकर बैठ जाओ

तुम्हारे शहर में सर्दी बहुत है

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जरा ठहरो की शब फीकी बहुत है — Zubair Ali Tabish • ShayariPage