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वो पास क्या जरा सा मुस्कुरा कर बैठ गया

वो पास क्या जरा सा मुस्कुरा कर बैठ गया

मैं इस मजाक को दिल से लगा के बैठ गया

दरख़्त काट के जब थक गया लकड़हारा

तो एक दरख़्त के साए में जा के बैठ गया

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वो पास क्या जरा सा मुस्कुरा कर बैठ गया — Zubair Ali Tabish • ShayariPage