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उनके गेसू खुलें तो यार बने बात मेरी

उनके गेसू खुलें तो यार बने बात मेरी

इक रबर बैंड ने जकड़ी हुई है रात मेरी

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उनके गेसू खुलें तो यार बने बात मेरी — Zubair Ali Tabish • ShayariPage