जहाँ पंखा चल रहा है वहीं रस्सी भी पड़ी हैZubair Ali Tabish@zubair-ali-tabishजहाँ पंखा चल रहा है वहीं रस्सी भी पड़ी है मुझे फिर खयाल आया, अभी ज़िन्दगी पड़ी है