हमने पर्चे आंसुओं से भर दिएZubair Ali Tabish@zubair-ali-tabishहमने पर्चे आंसुओं से भर दिए और तुमने इतने कम नंबर दिए ऊंचे नीचे घर थे बस्ती में बहुत जलजले ने सब बराबर कर दिए