चले जाओ भी अब जी लेंगे परZubair Ali Tabish@zubair-ali-tabishचले जाओ भी अब जी लेंगे पर सच कहो मजबूरी है क्या मुझे ये कहानी कुछ और लिखनी थी तुम्हारे हिसाब से पूरी है क्या