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SHER

अदाकार के कुछ भी बस का नहीं है

अदाकार के कुछ भी बस का नहीं है

मोहब्बत है ये कोई ड्रामा नहीं है

जिसे तेरी आँखें बताती हैं रस्ता

वो राही कहीं भी पहुँचता नहीं है

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अदाकार के कुछ भी बस का नहीं है — Zubair Ali Tabish • ShayariPage