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NAZM

तुम्हें इक बात कहनी थी

तुम्हें इक बात कहनी थी

इजाज़त हो तो कह दूँ मैं

ये भीगा भीगा सा मौसम

ये तितली फूल और शबनम

चमकते चाँद की बातें

ये बूँदें और बरसातें

ये काली रात का आँचल

हवा में नाचते बादल

धड़कते मौसमों का दिल

महकती ख़ुश्बूओं का दिल

ये सब जितने नज़ारे हैं

कहो किस के इशारे हैं

सभी बातें सुनी तुम ने

फिर आँखें फेर लीं तुम ने

मैं तब जा कर कहीं समझा

कि तुम ने कुछ नहीं समझा

मैं क़िस्सा मुख़्तसर कर के

ज़रा नीची नज़र कर के

ये कहता हूँ अभी तुम से

मोहब्बत हो गई तुम से

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