जब वो मुझको कहती थी एक शेर सुनाओ

जब वो मुझको कहती थी एक शेर सुनाओ

उसके उपरी लब को चूम के हट जाता था

उसके ज़ेहन में क्या आता था?

तैश में आकर कहती थी - “शेर मुकम्मल कौन करेगा?

सानी मिसरा कौन पढ़ेगा?”