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NAZM

जब वो मुझको कहती थी एक शेर सुनाओ

जब वो मुझको कहती थी एक शेर सुनाओ

उसके उपरी लब को चूम के हट जाता था

उसके ज़ेहन में क्या आता था?

तैश में आकर कहती थी - “शेर मुकम्मल कौन करेगा?

सानी मिसरा कौन पढ़ेगा?”

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जब वो मुझको कहती थी एक शेर सुनाओ — Zubair Ali Tabish • ShayariPage