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GHAZAL

जब वो मेरे शाना-ब-शाना चलता है

जब वो मेरे शाना-ब-शाना चलता है

पस मंज़र में कोई गाना चलता है

मैं पूरी ज़िम्मेदारी से पीता हूं

मेरी लग़ज़िश से मयख़ाना चलता है

आवारा'गर्दी पर लानत है लेकिन

एक गली में आना-जाना चलता है

पल-पल में बिजली के झटके देते हो

ऐसे तो बस पागलख़ाना चलता है

आप किसी मौक़े पर मातम करते हैं

हम लोगों का तो रोज़ाना चलता है

तुमको मेरी चाल पे फ़िक़्रे कसने थे

कस लो कमर को अब दीवाना चलता है

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