ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी
ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी
मगर नातिक को मिर्ची लग रही थी
तुम्हारे लब नही चूमे थे जब तक
मुझे हर चीज़ कड़वी लग रही थी
मैं जिस दिन छोड़ने वाला था उसको
वो उस दिन सबसे प्यारी लग रही थी
ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी
मगर नातिक को मिर्ची लग रही थी
तुम्हारे लब नही चूमे थे जब तक
मुझे हर चीज़ कड़वी लग रही थी
मैं जिस दिन छोड़ने वाला था उसको
वो उस दिन सबसे प्यारी लग रही थी