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GHAZAL

ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी

ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी

मगर नातिक को मिर्ची लग रही थी

तुम्हारे लब नही चूमे थे जब तक

मुझे हर चीज़ कड़वी लग रही थी

मैं जिस दिन छोड़ने वाला था उसको

वो उस दिन सबसे प्यारी लग रही थी

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ग़ज़ल तो सबको मीठी लग रही थी — Zubair Ali Tabish • ShayariPage