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GHAZAL

चल दिए फेर कर नज़र तुम भी

चल दिए फेर कर नज़र तुम भी

ग़ैर तो ग़ैर थे मगर तुम भी

ये गली मेरे दिलरुबा की है

दोस्तों ख़ैरियत इधर तुम भी

मुझपे लोगों के साथ हँसते हो

लोग रोएँगे ख़ास कर तुम भी

मुझको ठुकरा दिया है दुनिया ने

मैं तो मर जाऊँगा अगर तुम भी

उसकी गाड़ी तो जा चुकी 'ताबिश'

अब उठो जाओ अपने घर तुम भी

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चल दिए फेर कर नज़र तुम भी — Zubair Ali Tabish • ShayariPage