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GHAZAL

भीड़ तो ऊँचा ही सुनेगी दोस्त

भीड़ तो ऊँचा ही सुनेगी दोस्त

मेरी आवाज़ गिर पड़ेगी दोस्त

मेरी तक़दीर तेरी खिड़की है

मेरी तक़दीर कब खुलेगी दोस्त

गाँव मेरा बहुत ही छोटा है

तेरी गाड़ी नहीं रुकेगी दोस्त

दोस्ती लफ़्ज़ में ही दो है दो

सिर्फ़ तेरी नहीं चलेगी दोस्त

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भीड़ तो ऊँचा ही सुनेगी दोस्त — Zubair Ali Tabish • ShayariPage