GHAZAL•
अब बस उसके दिल के अंदर दाखिल होना बाकी है
By Zia Mazkoor
अब बस उसके दिल के अंदर दाखिल होना बाकी है
छह दरवाजे़ छोड़ चुका हूं एक दरवाज़ा बाकी है
दौलत शोहरत बीवी बच्चे अच्छा घर और अच्छे दोस्त
कुछ तो है जो इनके बाद भी हासिल करना बाक़ी है
मैं बरसों से खोल रहा हूं एक औरत की साड़ी को
आधी दुनिया घूम चुका हूं आधी दुनिया बाकी है
कभी-कभी तो दिल करता है चलती रेल से कूद पड़ूॅं
फिर कहता हूॅं पागल अब तो थोड़ा रस्ता बाक़ी है
उसकी खातिर बाजारों में भीड़ भी है और रोनक भी
मैं गुम होने वाला हूं बस हाथ छुड़ाना बाकी है