हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ देंWaseem Barelvi@waseem-barelviहादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें