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GHAZAL

सभी का धूप से बचने को सर नहीं होता

सभी का धूप से बचने को सर नहीं होता

हर आदमी के मुक़द्दर में घर नहीं होता

कभी लहू से भी तारीख़ लिखनी पड़ती है

हर एक मा'रका बातों से सर नहीं होता

मैं उस की आँख का आँसू न बन सका वर्ना

मुझे भी ख़ाक में मिलने का डर नहीं होता

मुझे तलाश करोगे तो फिर न पाओगे

मैं इक सदा हूँ सदाओं का घर नहीं होता

हमारी आँख के आँसू की अपनी दुनिया है

किसी फ़क़ीर को शाहों का डर नहीं होता

मैं उस मकान में रहता हूँ और ज़िंदा हूँ

'वसीम' जिस में हवा का गुज़र नहीं होता

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