हम अपने आप को इक मसअला बना न सके

हम अपने आप को इक मसअला बना न सके

इसी लिए तो किसी की नज़र में आ न सके

हम आँसुओं की तरह वास्ते निभा न सके

रहे जिन आँखों में उन में ही घर बना न सके

फिर आँधियों ने सिखाया वहाँ सफ़र का हुनर

जहाँ चराग़ हमें रास्ता दिखा न सके

जो पेश पेश थे बस्ती बचाने वालों में

लगी जब आग तो अपना भी घर बचा न सके

मिरे ख़ुदा किसी ऐसी जगह उसे रखना

जहाँ कोई मिरे बारे में कुछ बता न सके

तमाम उम्र की कोशिश का बस यही हासिल

किसी को अपने मुताबिक़ कोई बना न सके

तसल्लियों पे बहुत दिन जिया नहीं जाता

कुछ ऐसा हो के तिरा ए'तिबार आ न सके