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GHAZAL

अपने अंदाज़ का अकेला था

अपने अंदाज़ का अकेला था

इस लिए मैं बड़ा अकेला था

प्यार तो जन्म का अकेला था

क्या मिरा तजरबा अकेला था

साथ तेरा न कुछ बदल पाया

मेरा ही रास्ता अकेला था

बख़्शिश-ए-बे-हिसाब के आगे

मेरा दस्त-ए-दुआ' अकेला था

तेरी समझौते-बाज़ दुनिया में

कौन मेरे सिवा अकेला था

जो भी मिलता गले लगा लेता

किस क़दर आइना अकेला था

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अपने अंदाज़ का अकेला था — Waseem Barelvi • ShayariPage