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NAZM

"उसकी खुशियाँ"

"उसकी खुशियाँ"

सारी झीलें सूख गई हैं

उसकी आँखें सूख गई हैं

पेड़ों पर पंछी भी चुप हैं

उसको कोई दुख है शायद

रस्ते सूने सूने हैं सब

उसने टहलना छोड़ दिया है

सारी ग़ज़लें बेमानी हैं

उसने पढ़ना छोड़ दिया है

वो भी हँसना भूल चुकी है

गुलों ने खिलना छोड़ दिया है

सावन का मौसम जारी है

यानी उसका ग़म जारी है

बाक़ी मौसम टाल दिए हैं

सुख कूएँ में डाल दिए हैं

चाँद को छुट्टी दे दी गई है

तारों को मद्धम रक्खा है

आतिश-दान में फेंक दी ख़ुशियाँ

दिल में बस इक ग़म रक्खा है

खाना पीना छोड़ दिया है

सबसे रिश्ता तोड़ दिया है

हाए क़यामत आने को है

उसने जीना छोड़ दिया है

हर दिल ख़ुश हर चेहरा ख़ुश हो

वो हो ख़ुश तो दुनिया ख़ुश हो

वो अच्छी तो सब अच्छा है

और दुनिया में क्या रक्खा है

ये सब सुनकर ख़ुदा ने बोला

बोल तेरी अब ख़्वाहिश क्या है

मैंने बोला मेरी ख़्वाहिश

मेरी ख़्वाहिश उसकी ख़ुशियाँ

ख़ुदा ने बोला तेरी ख़्वाहिश

मैं फिर बोला उसकी ख़ुशियाँ

इसके अलावा पूछ रहा हूँ

मैंने बोला उसकी ख़ुशियाँ

अपने लिए कुछ माँग ले पगले

माँग लिया ना उसकी ख़ुशियाँ

उसकी ख़ुशियाँ उसकी ख़ुशियाँ

उसकी ख़ुशियाँ उसकी ख़ुशियाँ

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