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GHAZAL

यूँ अपनी प्यास की ख़ुद ही कहानी लिख रहे थे हम

यूँ अपनी प्यास की ख़ुद ही कहानी लिख रहे थे हम

सुलगती रेत पे उँगली से पानी लिख रहे थे हम

मियाँ बस मौत ही सच है वहाँ ये लिख गया कोई

जहाँ पर ज़िंदगानी ज़िंदगानी लिख रहे थे हम

मिले तुझ से तो दुनिया को सुहानी लिख दिया हम ने

वगर्ना कब से उस को बे-मआ'नी लिख रहे थे हम

हमीं पे गिर पड़ी कल रात वो दीवार रो रो कर

कि जिस पे अपने माज़ी की कहानी लिख रहे थे हम

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