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GHAZAL

ये प्यार तेरी भूल है क़ुबूल है

ये प्यार तेरी भूल है क़ुबूल है

मैं संग हूँ तू फूल है क़ुबूल है

दग़ा भी दूँगा प्यार में कभी कभी

कि ये मिरा उसूल है क़ुबूल है

तुझे जहाँ अज़ीज़ है तो छोड़ जा

मुझे ये शय फ़ुज़ूल है क़ुबूल है

तू रूठेगी तो मैं मनाऊँगा नहीं

जो रूल है वो रूल है क़ुबूल है

लिपट ऐ शाखे गुल मगर ये सोच कर

मेरा बदन बबूल है क़ुबूल है

यही है गर तिरी रज़ा तो बोल फिर

क़ुबूल है क़ुबूल है क़ुबूल है

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ये प्यार तेरी भूल है क़ुबूल है — Varun Anand • ShayariPage