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GHAZAL

वफ़ा, ख़ुलूस, मदद, देखभाल भूल गए

वफ़ा, ख़ुलूस, मदद, देखभाल भूल गए

अब ऐसे लफ़्ज़ों का सब इस्तिमाल भूल गए

मनाना रूठना हिज्र-ओ-विसाल भूल गए

सभी मुहब्बतों का इस्तिमाल भूल गए

नज़र के सामने वो बा-कमाल क्या आया

हम अपने हिस्से के सारे कमाल भूल गए

क़फ़स में लग गया जी आख़िरश परिंदों का

जहाँ से आए थे वो डाल-वाल भूल गए

फ़ुतूर फिर से चढ़ा है नई मुहब्बत का

जनाब पिछली मुहब्बत का हाल भूल गए?

फिर उसने सोच समझ कर इक ऐसी चाल चली

कि जिसको देख के सब अपनी चाल भूल गए

दिये जलाने थे पर दिल जला दिए हमने

हम अपने फ़न का सही इस्तिमाल भूल गए

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