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GHAZAL

कोई मिसाल नहीं है तिरी मिसाल के बाद

कोई मिसाल नहीं है तिरी मिसाल के बाद

मै बे ख़याल हुआ हूँ तिरे ख़याल के बाद

बस इक मलाल पे तू ज़िन्दगी तमाम न कर

बड़े मलाल मिलेगें मिरे मलाल के बाद

हर एक ज़ख़्म को अश्कों से धो के चूम लिया

मै ऐसे ठीक हुआ उसकी देख-भाल के बाद

उलझ के रह गया वो जाल में तबीबों के

मरीज़ घर नहीं लौटा है अस्पताल के बाद

दुआ सलाम से आगे मै बढ़ नहीं पाता

उसे भी सोचना पड़ता है हाल-चाल के बाद

हमारे बीच में जो है सही नहीं है वो

उसे ये याद भी आया तो चार साल के बाद

हज़ारों ख़्वाब जो आँखों के आसरे थे कभी

यतीम हो गए आँखों के इन्तिकाल के बाद

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