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GHAZAL

जो ख़ौफ़नाक है, तुम को हसीन है साहब

जो ख़ौफ़नाक है, तुम को हसीन है साहब

तुम्हारी फ़िल्म में ये कैसा सीन है साहब

हमारी माँग तो बस वैक्सीन है साहब

तुम्हारा काम मगर दीन-दीन है साहब

हमारे वास्ते जुर्माने हैं सज़ाएँ हैं

तुम्हारे वास्ते सब बेहतरीन है साहब

तुम्हारा खेल तुम्हारी ही तालियाँ हैं सब

तुम्हारे साँप तुम्हारी ही बीन है साहब

हमारी मर्ज़ी से अब क्या बदलने वाला है

तुम्हारे कब्ज़े में वोटिंग मशीन है साहब

उसे भी काटने पर आप अड़ गए हैं क्यूँ

हमारा फ़िल्म में छोटा सा सीन है साहब

हम इस में सरसो लगाएँ या दफ़्न हो जाएँ

हमारी मर्ज़ी हमारी ज़मीन है साहब

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जो ख़ौफ़नाक है, तुम को हसीन है साहब — Varun Anand • ShayariPage